भारत में गैंम चेंजर साबित होते स्वास्थ्य विनियम

भारत में विगत वर्षों में कुछ स्वास्थ्य विनियम पारित किए हैं जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से गैम चेंजर होने चाहिए। उदाहरण के लिए स्कूल मे फूड फोर्टिफिकेशन और ट्रांस फैट्स प्रतिबंधों के अलावा सुरक्षित भोजन और बच्चों के लिए संतुलित आहार और खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम प्रमुख हैं। ये सभी संभवत: भारत और विश्व स्तर पर देखी जाने वाली एनसीडी की उच्च प्रसार की इस अवधि में गैम चेंजर बन सकते हैं।

भारत में अधिक वजन, मोटापे और आहार से संबंधित गैर-संचारी रोगों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और दिल के रोग की बढ़ती चिंता, उपभोक्ताओं के लिए यह तय करना महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे क्या खाएं और क्या नहीं खाएं।

वर्ष 2020 की एक नवीनतम आईसीएमआर सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि चार में से एक भारतीय अधिक वजन/मोटापे से ग्रस्त हैं। एक सर्वे के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में रहने वाले करीब 43 प्रतिशत भारतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 18 प्रतिशत भारतीय अधिक वजन के हैं।

रा ष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, लगभग 29 प्रतिशत भारतीयों ने अपना रक्तचाप बढ़ाया है। इसी तरह लगभग 17 प्रतिशत पुरूष वयस्क आबादी और लगभग 15 प्रतिशत वयस्क् महिला मधुमेह से ग्रस्त हैं। यह संख्या बहुत ज्यादा हैऔर इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि उच्च नमक, चीनी और वसा (एचएसएसएफ) के संदर्भ में क्या खा रहे हैं। यह फ्रंट ऑफ पैक वॉर्निंग लेबल के लिए एक चुनौती है। एक नजर में उपभोक्ताओं को पता चला जाएगा कि क्या खरीदना या क्या नहीं खाना है।

भारतीय खाने में पैकेज्ड खाद्य पदार्थ और फास्ट फूड शामिल है जो कि अधिक प्रसंकृत और अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये खाद्य उत्पाद्र, नमक, चीनी या वसा की उच्च मात्रा के अलावा प्रसंस्कृत कार्बोहाइ ड्रेट और उच्च रसायनों से युक्त होते हैं और इनमें फाइबर आहार और प्रोटीन की कमी होती है। ये आहार एक तरफ तो अधिक वजन और मोटापे की ओर ले जाते हैं और दूसरी ओर कुपोषण की तरफ धकेलते हैं।  

उपभोक्ताओं की जानकारी के लिए बता दें कि पैक चेतावनी में आमतौर पर समझने में आसानी के लिए रंग और प्रतीक चिन्ह होते हैं। हम भारतीय, नमक, चीनी और संतृप्त वसा की दोगुनी मात्रा का सेवन करते हैं, फिर डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित क्या है। 

शाकाहारी और मांसाहारी भोजन को दर्शाने वाले एफएसएसएआई के हरे और लाल निशान का उदाहरण लें और उपभोक्ताओं को सूचित करने में सफल रहे हैं। आज उपभोक्ताओं को जानने की आवश्यकता है कि एफएसएसएआई ने हाल ही में भोजन में फोर्टिफिकेशन (+एफ लोगो) को चिहिन्त करने और जैविक खाद्य (जैविक भारत लोगो के रूप में एक हरे रंग की टिक मार्क) से संबंधित कानून बनाए हैं।

एफओपीएल लेबल का आधार हैजो प्रतीक आधारित लोगो का सुझाव भी देता है, उपभोक्ताओं द्वारा आसानी से पहचानने योग्य और हानिकारक के रूप में पहचाना जा सकता है। कोई गणना या सोच शामिल नहीं है।

विश्व स्तर पर कई देशों ने पहले ही एफओपीएल लेबलिंग प्रणाली को लागू कर दिया है और अध्ययनों से साबित हो गया है कि वे एचएसएसएफ खाद्य पदार्थों की खपत को कम करने में प्रभावी है। भारत अभी एफएसएसएआई उद्योगों और सिविल सोसाइटी परामर्श प्रक्रिया में है जिसमें कंस्यूमर वॉयस भी एक भागीदार है।

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